क्यों मैं, क्या मैं, क्या मेरा मन ?
यह प्रश्न उठाता हूँ,
बस सोंचता जाता हूँ,
इस गूढ पहेली में,
ना बीत जाए जीवन.
नींदो से जागता हूँ,
खुद से मैं भागता हूँ,
बस शून्य ताकता हूँ,
मन करता है स्पन्दन.
किसके लिये हूँ खुश मैं,
छाती है क्यों उदासी,
देखूं क्यूँ ख्वाब इतने,
जब जिन्दगी जरा सी ?
पाया या जो कि खोया,
मन हँसा या कि रोया,
अरमान जो संजोया,
कारण न कुछ प्रयोजन.
क्यों मैं, क्या मैं, क्या मेरा मन ?
# नितिन
आपका ब्लाग देखा बहुत अच्छा लगा। बहुत कुछ अपना सा। -कमल
http://www.hindisahitya.blogspot.com
नितिन जी,
स्वागत है आपका ।
आपका सरल-सहज लेखन हमारी मंडली की एक नयी कड़ी है । आशा है , वन्यजीवन के अनछुए पहलुओं पर हमारी जानकारी अद्यतन करेंगे ।
अपने लोगों में एक,
प्रेम ।
नितिन भाई , आपकी कविता अच्छी लगी ।
आप वन-प्रबन्धन से सम्बन्धित हैं अतः आपसे वन , वन्य जन्तु , पेड , हरियाली , प्राकृतिक सौन्दर्य , वृक्षारोपण आदि पर भी आलेख की आशा करते हैं । समय पाकर लिखें ।
अनुनाद
नितिन भाई,
कभी कभी तो अपने विचार भी विचार लिख लिया करो, कब तक दुसरो को उद्ध्रित करते रहोगे,copy paste मारते रहोगे.
तुम्हारा एक शुभचिन्तक्
प्रबल प्रकाश मिश्रा,
मधूबनी, बिहार्
प्रिय शुभचिन्तक प्रबल प्रकाश जी
शायद आपने पूर चिट्ठा ध्यान से नही पढा अतः आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि यह कविता (या विचार,जो भी आप ठीक समझें)मेरी अपनी ही लिखी हुई है…नीचे अपना नाम लिखा हुआ है मैने…
पता नही आपको copy-paste क्यों लगा…अगर कोई सन्देह हो तो बताइएगा
टिप्पणी के लिये धन्यवाद…आगे भी अपनी शुभकामनाओं से मार्गदर्शन करते रहियेगा .
#नितिन बागला
bss bollywood or tollywood nd other my help plz
im speed rapper
silu singg agra
8958054237
my chennal name
rapp stepper silu singg