अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अलंबरदार NDTV और उनकी एक प्रिय चेहरे की एक हरकत की खबर अभी हाल ही में अंग्रेजी ब्लागमंडल में घूमते हुए मिली जहाँ एक ब्लागर को कानूनी कार्यवाही के सम्मन के जरिये अपनी पोस्ट हटाने और सार्वजनिक रूप से माफीनामा लिखने के लिये मजबूर किया गया।
ब्लागर चैतन्य कुंटे ने अपने ब्लाग पर मुम्बई धमाकों के दौरान हुई मीडिया कवरेज को आडे हाथों लेते हुए इस चैनल और इसके रिपोर्टर पर एक पोस्ट लिखा थी। (पोस्ट अब हटा दी गई है…पर जय हो गूगल Cache की, इंटरनेट पर तो सब कुछ मौजूद रहता ही है, इस पेज पर सबसे नीचे वाला आलेख देखें)। उसके बाद NDTV ने उन पर कानूनी कार्यवाही का सम्मन भेजा (इस पेज पर दूसरा संदेश देखें)। चैतन्य ने अपनी वो पोस्ट हटा ली और यह माफीनामा अपने ब्लाग पर डाला।
और जानकारी एवं अन्य अंग्रेजी चिट्ठाकारों के विचार यहाँ पढें।
यह है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकारों की हकीकत। इन्हे अपनी आलोचना बिल्कुल बर्दाश्त नही। सवाल यह नही है कि ब्लागर ने जो लिखा था वो कितना सही या गलत था…लेकिन अगर इसी प्रकार का नोटिस कोई नेता किसी टी वी चैनल को थमा दे तो कितना हल्ला मचाया जायेगा? याने आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ सबको पढाओ लेकिने खुद अपने बारे में एक शब्द सुनने को तैयार नही…।
क्या किसी ब्लागर से उसकी पोस्ट डिलीट करवाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटना नही माना जायेगा? और क्या दुनिया भर की आलोचना करने वाले समाचार चैनल और इनके कर्णधार आलोचनाओं से परे हैं?
मुझे ताज्जुब है कि हिन्दी ब्लागमंडल में इस घटना पर अब तक कोई चर्चा नही हुई है (या शायद मेरी नजर नही पडी)। गुजारिश करूंगा की अगर आपको ये गलत लगता है तो इसके विरोध में अपने ब्लाग पर एक पोस्ट जरूर लिखें।
हम तो ऐसे ही है भैये… 10-15 लोगों को बम विस्फोट में मरवा के TRP बनाई थी… अब चली गई तो रो रिये हे… दुसरे चैनलों को कोस रिये हे… हम लोग टीआरपी के लिए सब कुछ करेंगे… फिर सरकार अगर हमारे कुकर्मों पर लगाम लगाना चाहेगी तो और ज्यादा रोकर दिखा देंगे… अभिव्यक्ति की स्व्तंत्रता का ज्ञान भगार देंगे…
यह ही है हमारी असलैयत
बोलो क्या कल्लोगे?
Oh Its shame!!
The post mentions that Barakha Dutt was responsible for death of three soldiers. I don’t know how true it is but how she will be keeping the award she got for reporting on Kargil. That’s the reason I don’t like these jaurnalists who are famous for their english or literature rather than knowledge on any subject matter.
ब्लागरों का गला घोटने वालो,शर्म करो
एनडीटीवी हाय हाय,बरखा दत्त हाय हाय,
NDTV की बरखा दत्त की उल्लिखित रिपोर्टिंग शर्मनाक ही नहीं आपराधिक है । पूरे प्रकरण की हिन्दी ब्लॉगजगत में सटीक कड़ियों के साथ बेबाक चर्चा के लिए नितिन बधाई के पात्र हैं ।
धन्यवाद नितिन, जानकारी देने के लिये
धन्यवाद। चैतन्य कुण्टे से सहानुभूति है। यद्यपि व्यक्ति-विशेष को टार्गेट कर पोस्ट लिखना बहुत समझदारी की बात नहीं।
इस मुद्दे पर मैं लिखने की सोच ही रहा था कि आपकी पोस्ट दिख गयी। NDTV के इस कृत्य की जितने भी कडे शब्दों में निन्दा की जाये कम है।
How interesting… So Mr. Kunte was made to bow down by the mighty NDTV and Ms. Dutt. I am not surprised with all that muscle anything is possible.
Anyway, I’d like to state here that I do believe that the Mumbai Blast Crisis coverage was SHODDY JOURNALISM from NDTV and Ms. Dutt, and I’ve written a post to that effect on my blog.
धन्यवाद नितिन जी, मैंने भी इसे पढ़ा था, लेकिन यह नहीं मालूम था कि NDTV वाले इतने नीचे स्तर तक पहुँचेंगे… आप देखियेगा, बहुत जल्दी ही हिन्दी ब्लॉगरों पर भी एकाध चैनल की नज़रे-इनायत होगी… फ़िलहाल वे सोचते हैं कि हिन्दी ब्लॉगर!!! ऊँह्… फ़िर कुछ दिनों में कहेंगे हिन्दी ब्लॉगर!!! ओह… उसके बाद हिन्दी ब्लॉगर!!! आआआअह… सबसे अन्त में कहेंगे हिन्दी ब्लॉगर!!! भौं भौं भौं भौं……… पाकिस्तान से संचालित हो्ने वाले ये सभी दोगले चरित्र वाले लोग हैं…
सबसे पहले तो सुचना अधिकार के तहत किस चैनल में किसका पैसा लगा है, यह जानकारी निकलवाओ. आँखे फटी रह जाएगी. 🙂
चैनल वालों के लिए एक कहावत ठीक रहेगी, “बाबाजी खूद बेंगन खाए, दुसरों को दे उपदेश”.
यदि यह सच है तो दुखद है ,मैंने कुछ कोवेरेज देखे थे पर शायद ये सन्दर्भ कवरेज छूट गया लगता है ..मेरा ऐसा मानना है ,कुछ ऐसे प्रोफेशन है जिनकी बारीक सी गलती भी कभी कभी बड़ा नुक्सान दे देती है ,जैसे हमारा मेडिकल का प्रोफेशन …या मीडिया ..ओर एक बेहद सुलझा हुआ पत्रकार भी किसी कुशल सर्जन की तरह गलती कर सकता है खास तौर से ऐसे नाजुक समय पर….IBN सेवेन हिन्दी का स्टार देख कर भी कभी कभी दुःख होता है ..मीडिया को भी अपनी आलोचना लेने का गुण सीखना चाहिए ओर अपनी कमियों को आत्म निरिक्षण करके उसे बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए तुंरत फुरंत किसी फौरी निर्णय ओर बाईट की हड़बड़ी कई सवेदनशील मुद्दों को बेहद नाजुक मोड़ दे सकती है ….
वैसे बरखा दत्त मेरी पसंदीदा पत्रकारों में से एक है …पर यदि ये सच है तो दुखद है….लेखक ने वाजिब सवाल उठाया है ..अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का.
They are pathetically ill. Cant be said anything more.
NDTV कभी मेरा पसंदीदा चैनल हुआ करता था लेकिन उसकी इस हरकत को देखकर ऐसा लगता है कि उनके चुके हुए पत्रकार?? अब दिमागी रूप से बीमार हो चुके हैं और शायद खुद को खुदा ही समझने लगे हैं.
मीडिया एक दुधारी तलवार है और इसकी मार से खुद मीडिया नहीं बच पायेगा। परंतु एनडीटीवी को सिर्फ खुद को मीडिया समझने की भूल नहीं करनी चाहिये। दूसरों की आलोचना करने वालों को‚ दूसरों की कमियां निकालने वाले को खुद भी अपनी आलोचना सहने की हिम्मत होनी चाहिये। वो दिन गये जब कुछ लोगों का एकाधिकार मीडिया में होता था………..
ndtv me jo vidvan log jo aksar gyan dete hai apne apne blog me unhe to kuch bolna chahiye.
अपने विचार प्रस्तुत करने का हक़ सभी को है ….चाहे वो नकारात्मक हो या सकारात्मक ……एन डी टीवी को इस तरह का कोई कदम नही उठाना चाहिए था …..अगर यही काम ख़ुद न्यूज़ चैनल वाले करते हैं और कोई नेता कुछ कह दे तो हो हल्ला हो जाता है …..
यह तो बहुत शर्मनाक है ……ख़ुद स्वतंत्र हो और दूसरों को बांधकर रखने की कोशिश ……बिल्कुल सही नही है
ये घटना शर्मनाक है…. जानकारी के लिये धन्यवाद…
बरखा दत्त और विनोद दुआ जैसे पत्रकारों को “भारत माता की जय” बोलना साम्प्रदायिक लगता है… एक धर्म के प्रति नारे लगाना लगता है…
वस्तुतः यह प्रकरण ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ की उक्ति को चरितार्थ करता है। बरखा दत्त उस मीडिया साम्राज्य की मालकिन जैसा व्यवहार कर रही हैं जिसके पास अकूत सम्पत्ति, राजनैतिक रसूख, और कानून के जानकार महंगे वकीलों की फौज खड़ा करने की क्षमता है। दूसरी ओर श्रीमन कुन्टे साहब कदाचित हमारे जैसे अकिंचन ब्लॉगर हैं जो अपने खाली वक्त में घर बैठे कुछ विचारों का आदान-प्रदान नेट के माध्यम से कर लेने का उत्साह और शौक पाले बैठे हैं। No T.R.P.; nothing at stake.
ऐसे में जब बलिष्ठ बरखा जी ने भारी भरकम और डरावनी कानूनी नोटिस भेंजी होगी तो ब्लॉगर बेचारे लफड़ा बढ़ाने और अदालतों का चक्कर लगाने के बजाय क्षमा याचक बन जाना ही बेहतर समझ लिए होंगे।
इसे शेर और मेमने की लड़ाई मान सकते हैं। प्रकरण की मेरिट पर बहस के बजाय मीडिया जगत की इस तारिका ने अपनी शक्ति का जिस प्रकार दुरुपयोग किया है वह शर्मनाक है।
बहुत शर्मनाक घटना है ऐसे चेनल का बहिस्कार करे ! मैंने तो आज से इस चेनल को देखना बंद कर दिया है !
अच्छी रिपोर्टिंग करी। आज चिट्ठाचर्चा में भी आलोक कुमार के माध्यम से किस्सा पता चला।
चैतन्य जी,कोई कितना ही ऊंचाई पर क्यों ना हो एक समय सीमा के बाद उसे नीचे आना ही होता है ये घटना और इसका अंजाम ठीक नही दोनों पक्ष के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के कुछ मायने होतें हैं ….इलेक्ट्रोनिक चैनल आज जो कर रहें हैंसारी दुनिया देख रही .एक बड़े शोरूम के सेल्स मेन/वूमेन से ज्यादा कुछ नही…..जनता के हित मैं कौन है?९० प्रतिशत भोंडे और सर दुखाऊं कार्यक्रम …पर क्या करें हमारे ब्लोगेर भाई बहन कोई प्रिंट या इलेक्ट्रोनिक मीडिया मैं चार शब्द लिख देता है तो फिर देखें ….खुशी ,इतना भी क्या …अपनी हेसियत को नजर अंदाज करना अपना ही गला घोंटने के बराबर है …वो जो कर रहें है करने दें,अब लिख दिया सो लिख दिया मूसली से डरना क्या ..शब्दों की सच्चाई पर हमेशा यकीन रखें अपने लिखे पर भी,
अभी पता चला की ब्लॉग लिखने वाले ने बरखा दत्त को गलिया दी है.बरखा दत्त का हम विरोध कर सकते है पर गाली देना कैसे सही है वे महिला है और ऐसे में उन्हें अप्सब्द कहने का किसी को कोई हक नही है .हम अपनी पहले लिखी बात वापस लेते
श्री अम्ब्रीश कुमार,
“गलिया” नहीं गालियां
“अप्सब्द” नहीं, अपशब्द
कूंटे का लेख तो सैकड़े वेबसाईट पर उपलब्ध है उसमें तो कहीं भी गालियां नहीं है, कैसे पता लगा कि कुंटे ने गालियां दीं?
ये एनडीटीवी द्वारा आपना चेहरा बचाने की कोशिश लगती है
कुंटे का बातें तो अब विकीपीडिया का हिस्सा है, अब विकीपीडिया को लीगल नोटिस भेज कर माफी मंगवायें
किसी विद्वान् ने फ़िर नाम छुपा कर ज्ञान दिया .भाई यह हिन्दी गूगल के अनुवाद की है आप हिन्दी के प्रकांड पंडित है इसलिए बताना जरुरी है .
मैंने जो विस्फोट.कॉम पर पढ़ा वह पेश है.–
हालांकि कुंते ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी है और एनडीटीवी से माफी भी मांग ली है, लेकिन इंटरनेट के रिकार्ड में वह पोस्ट सुरक्षित है. कुंते लिखते हैं-
Shoddy journalism
Appalling journalism. Absolute blasphemy! As I watch the news from home, I am dumbfounded to see Barkha Dutt of NDTV break every rule of ethical journalism in reporting the Mumbai meyhem. Take a couple of instances for example:
* In one instance she asks a husband about his wife being stuck, or held as a hostage. The poor guy adds in the end about where she was last hiding. Aired! My dear friends with AK-47s, our national news is helping you. Go get those still in. And be sure to thank NDTV for not censoring this bit of information.
* In another instance, a General sort of suggests that there were no hostages in Oberoi Trident. (Clever.) Then, our herione of revelations calls the head of Oberoi, and the idiot confirms a possibility of 100 or more people still in the building. Hello! Guys with guns, you’ve got more goats to slay. But before you do, you’ve got to love NDTV and more precisely Ms. Dutt. She’s your official intelligence from Ground zero.
……
During the Kargil conflict, Indian Army sources repeatedly complained to her channel that she was giving away locations in her broadcasts, thus causing Indian casualties.
Looks like the idiot journalist has not learnt anything since then. I join a number of bloggers pleading her to shut the f*** up.
और बातों के अलावा जिस एक बात पर आपकी नजर जाती है वह यह कि कुंते बरखा दत्त को खुलकर गाली दे रहे हैं और बहुत ही अपशब्द का प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में उनके द्वारा माफी मांग लेने से उन्होंने कोई महान काम नहीं किया है. आप किसी पर सवाल तो उठा सकते हैं लेकिन किसी के साथ इस तरह से गाली गलौज नहीं कर सकते
बढिया जानकारी दी है. आज ही चि्ठ्ठाचर्चा पर इसकी जानकारी लगी.
रामराम.
SAMARATH KO NAHI DOS GUSAAIN
बात का बतंगड़ बना कर बरखा तो फँस ही गयी। पूरी असलियत सामने आ जाय तभी बेहतर। अभी तो बड़ा कन्फ़्य़ुअजन है
Shri ambrish kumar ji
namaskar
jinhe ye log apshabdkah rahe hai wah angreji ke samanya shabd hai
kya aap ‘murkh’ ko gaali kahenge?
aur aakhir ka ‘shut the f*** up ‘
ye to kunte ji ne khud ne hi sensor kiya hai, kya channel wale aisi baat nahi karte??
waise bhi wah baatka aajkal angreji me ek muhaware ki tarah istmaal kiya jata hai.
isliye muze anonymous ji ki baat hi sahi lagti hai
ये मानता हूँ कि बरखा ने सेंसिटिव जानकारियों को ब्रोडकास्ट कर गलती की पर आलोचना की भाषा मर्यादित होनी चाहिए.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढोल पीटने वालों को ऐसी शर्मनाम हरकत नहीं करनी चाहिए। हांलाकि बरखा की पत्रकारिता मुझे अक्सर सुलझी हुई लगती है।
ये एक चिंतनीय बात है . और हिटलरबाजी भी
गांव खुराशान जिला सहरसा पंचायत महारस थाना सलखुआ
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ये अर्थ नहीं होता की आप किसी झूठ को फैला कर किसी की छवि धूमिल करे..
आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वहां ख़तम हो जाती है जहाँ दुसरे की स्वतंत्रता बाधित होती है..
मौजूदा समय में NDTV सबसे बेहतर न्यूज़ चैनल्स में से एक है जो सामाजिक मुद्दों को लगातार उठता है और सरकार के लिए एक विपक्ष की भूमिका अदा कर रहा है. क्युकी पत्रकारिता को नैसर्गिक विपक्ष कहा जाता है.